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Hindi Shayari

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Hindi Shayari

 चलो माना, ये जो तेरी नफरत है, एक रोज कहर बन जाएगी हम रहेंगे ना कल, क्या हकीकत बदल जाएगी?  एक दिन ऐसा आएगा तेरी बेवफाई पर तू पश्चताएगी   जिस कदर कभी चाहा तुने, उसे फिर तू कैसे भूलाएगी?

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ये रण है, प्रचंड !!!

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जिन्दगी की जद्दोजहद से बेबस इंसान को मरते देखा है। चन्दन सी इस माटी को लहू से रंगते देखा है।। क्योंकि, ये रण है प्रचंड - ये रण है प्रचंड कइयो को गिरते, तो कइयों को गिर कर सँभलते देखा है। कइयों को लड़ते, तो कइयों को रण भूमि से भागते देखा है।। कइयों के सपनो को साकार होते, तो काइयो के दिलो को टुटते देखा है।।। क्योंकि, ये रण है प्रचंड - ये रण है प्रचंड इस गुमनाम जिंदगी में कइयो को रैन-ए-गुलफाम में चमकते देखा है। तो  कइयो को साजिश-ऐ-रंजिश का शिकार होते देखा है।। क्योंकि, ये रण है प्रचंड - ये रण है प्रचंड इस रण भुमि में सैनिकों को अपने प्राण त्यागते देखा है। गरिबी से बेबस इंसानो को गलियों के सड़कों पर झुलसते देखा है।। क्योकि, ये रण है प्रचंड - ये रण है प्रचंड कइयो को अपनी जिंदगी में परास्त होते देखा है। तो कइयो को अपनी मंजिल पथ पर विजय का डंका बजाते देखा है।। क्योकि, ये रण है प्रचंड - ये रण है प्रचंड                                                 - गजेन्द्र सिंह                                                    ✍️

सरहदे !!

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सरहदे !! जवानों के प्राणों के बलिदान की कहानी है,   ये सरहदे। इंसानो के हैवानियत की निशानी है,   ये सरहदे।।  कई घरो के तबाही की कारण है, ये सरहदे।।। आखिर क्यूँ है?? ये सरहदे।।१।। कभी सोचता हूँ , मातृभूमि के रक्षण की प्रतीक है,  ये सरहदे। कभी सोचता हूँ विजय-पराजय के लिए लड़ी जाने वाली रण भूमी है, ये सरहदे।। आखिर क्यूँ है?? ये सरहदे।।२।। जवानों के शरीर से बहे कतरे-कतरे रक्त की कर्जदार है, ये सरहदे। कभी सोचता हूँ , बंदिश-ए-इख़्तियार का अन्जाम है, ये सरहदे।। आखिर क्यूँ है?? ये सरहदे।।३।। कभी सोचता हूँ , मानव द्वारा निर्मित शांति-अमन की प्रतीक है, ये सरहदे। कभी सोचता हूँ , खुदा द्वारा दिया गया खूबसूरत-सा नज़्म है , ये सरहदे।। आखिर क्यूँ है?? ये सरहदे।।४।। कायनात में लोगो के अधूरी मुराद की तशरीह है, ये सरहदे। धरती माता के सीने पर खिंची हुई एक लकीर है, ये सरहदे ।। आखिर क्यूँ , क्यूँ , क्यूँ है?? ये सरहदे।।५।।                                            - गजेन्द्र सिंह                                               ✍️

बस तु आगे बढ़ता जा ।।

ये तन्हाई का आलम है,मेरे दोस्त खुल कर जी इसे। ना मिले तो ना सही,पर हस कर जी इसे ।। छोड दे सारे चिंतन तु , थाम ले उस मंजिल का रास्ता। चलता जा-बस तु आगे चलता जा,उमड-घुमड कर बढता जा।। ना कर परवाह तु अपनी मंजिल प्राप्ति का । लिखता जा बस तु लिखता जा इतिहास इस काल के कपाल पर बस तु लिखता जा इतिहास।। ना कर चिन्तन तु आपनी सफलता का। ना मिले तो ना सही, बस तु आगे बढ़ता जा।। कर अपने हौसलो को बुलन्द निडर होकर चलता जा। इस घने अंधकार में से अपने दीप बिखेरता जा।। बस तु आगे बढ़ता जा,बस तु आगे बढता जा  ना कर चिन्तन तु अपनी सुख प्राप्ति का । अपने आप से लड़ता जा बस तु आगे बढता जा।।  जिंदगी अभी अधुरी है, संकल्प भी अधुरा है। गिर कर-संभल कर चलता जा, बस तु आगे बढता जा।। एक दिन सितारा फिर झिलमिलायेगा,नया सेवरा फिर आएगा उस दिन लोग तुझे तेरी उस इतिहास से जानेंगे जहाँ सिर्फ तुहि तु नजर आएगा। बस तु लडता जा मुस्कुराता जा, बस तु आगे बढ़ता जा।।                                                                                                            - गजेन्द्र सिंह